आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत द्वारा हिन्दू और मुस्लिम समाज के डीएनए को लेकर दिये बयान पर बहस छिड़ गई है। बसपा प्रमुख बहन मायावती ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत का बयान ‘मुंह में राम बगल में छुरी’ जैसा है। संघ और भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है।
लखनऊ में एक प्रेस कांफ्रेंस में बहनजी ने कहा कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भारत में सभी धर्मों के लोगों का डीएनए एक होने की बात किसी के भी गले के नीचे आसानी से नहीं उतरने वाली है। आरएसएस और बीजेपी एंड कंपनी के लोगों तथा इनकी सरकारों की कथनी व करनी में अंतर सभी देख रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और उत्तर प्रदेश सहित देश के जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें चल रही हैं, वे भारतीय संविधान की सही मानवतावादी मंशा के मुताबिक चलने की बजाए ज्यादातर आरएसएस के संकीर्ण एजेंडे पर चल रही हैं।
हनजी ने सवाल उठाया कि आरएसएस के सहयोग और समर्थन के बिना बीजेपी का अस्तित्व कुछ भी नहीं है फिर भी आरएसएस अपनी कही गई बातों को बीजेपी और इनकी सरकारों से लागू क्यों नहीं करवा पा रही है? उन्होंने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा सरकारें आरएसएस के एजेंडे पर काम कर रही हैं।
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कल 4 जुलाई को कहा था कि सभी भारतीयों का डीएनए एक है, चाहे वे किसी भी धर्म के हों। वहीं भागवत ने लिंचिंग को लेकर कहा कि इसमें शामिल लोग हिंदुत्व के खिलाफ हैं। भागवत के लिंचिंग वाले बयान पर AIMIM नेता ओवैसी भी कूद पड़ें। उन्होंने कहा कि कायरता, हिंसा और कत्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का ही हिस्सा है। फिलहाल भागवत के बयान पर राजनीतिक घमासान जारी है।
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